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रविवार, 22 नवंबर 2009

वक़्त बहुत थोड़ा है

पेड़ पर बैठी सभी बुलबुलें सहम-सी गयीं
फिर किसी शाख को इन मनचलों ने तोडा है

एक चिंगारी भी नफरत की बहुत है लेकिन
प्यार जितना भी मिले ज़िन्दगी में थोड़ा है

दिल के शीशे को सदा शक से बचाकर रखना
प्यार की राह में ये सबसे बड़ा रोड़ा है

मैंने कुछ भी न कहा और तुमने सुन भी लिया
दिल से दिल तक ये तुमने कौन तार जोड़ा है

बात बिगड़ी हो अगर बढके बनालो यारों
बात ने तोडा है दिल, बात ही ने जोड़ा है

मौके हरदम हैं यहाँ खूब बिगड़ने के लिए
ख़ुद सम्हालने को मगर वक़्त बहुत थोड़ा है।

4 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

एक चिंगारी भी नफरत की बहुत है लेकिन
प्यार जितना भी मिले ज़िन्दगी में थोड़ा है
बेहतरीन। बधाई।
नफ़रत की तो गिन लेते हैं, रुपया आना पाई लोग,
ढ़ाई आखर कहने वाले, मिले न हमको ढ़ाई लोग।

ज़मीर ने कहा…

आपकी रचना सुंदर बन पडी है। बधाई।

मोहसिन ने कहा…

EK AACHI GHAZAL, JO MAAN KO CHUNE KI TAAQAT RAKHTI HAI.

Jyoti Verma ने कहा…

bahut sundar rachana hai. saral shabdo me bhavnatmak abhivakti.