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मंगलवार, 26 जनवरी 2016

कितना अंतर होता है

कितना अंतर होता है
बीते हुए कल और आज में...
कल कागज़ के चंद टुकड़ों को
पाने के लिए कितना ताना-बाना
बुना करते थे हमदोनो
और आज
व्हाट्सऐप पे मेसज डिलीट करते
तेरी उँगलियाँ नहीं थकती,
घंटों गुजर जाते हैं मुझे
जिस अंतर्वेदना को गढ़ने में..
कितना अंतर होता है
बीते हुए कल और आज में..
कल रात के सन्नाटे में पागलों की
तरह सडकों पे मेरा मोबाइल पे
"आई लव यू" चिल्लाना
और आज
यूँ ही दिन गुजर रहे हैं
तेरे गुड़ मोर्निग गुड नाईट के
मेसेज का ख़ामोशी से
रिप्लाई करने में..
कितना अंतर होता है
बीते हुए कल और आज में..
कल दिन और रातें
गुजर जाती थीं
तेरी मासूम सी बातों में
जब कान से चिपके मोबाइल
और रात के अँधेरे में
तुझे सुनना-अपनी सुनाना
और आज
इस बदनसीब की आवाज
पहुँचती नही
तेरे दिल के किसी कोने में...
कितना अंतर होता है
बीते हुए कल और आज में..
कल कितना जूनून था
मुझे पाने की
सारे जगत को छोड़
संग भाग जाने की,
और आज समझ जाना कि
वो नादानी थी मेरी उम्र की..
कितना अंतर होता है
बीते हुए कल और आज में..
कल था जिसके आँखों का नूर,
आज लाचार-बेवस मैं
दोस्त बन गया रिश्ते निभाने में
कितना अंतर होता है
बीते हुए कल और आज में..






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