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शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

खत्म होती-सी कहानियाँ क्यों है...

कुछ तो बता ए-जिन्दगी ये हैरानियाँ क्यों है,
हर कदम, हर मोङ पर परेशानियाँ क्यों है,
आसुँ के धारे और मायूसी का अन्धेरा हैं,
हर पल ज़िन्दगी में गमों कि मेहरबानियाँ क्यों है,
हर तरफ तन्हाइयां, हर तरफ मायूसियाँ मिली,
इस भरी दुनियाँ में मेरे लिए वीरानियाँ क्यों हैं,
मैंने तो अभी आगाज़ किया है ज़िन्दगी का,
फिर खत्म-सी होती ये कहानियाँ क्यों है।

शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

जीवन - गीत

ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है।
आँखों में मस्ती लबों पर जाम है।

अतीत के गह्वर में घिरा न कर
व्यतीत हुआ वह व्यर्थ है सोचा न कर
कर्तव्यपथ पर अहर्निश बढ़ता ही चल
पीछे पलट कर देखना क्या काम है
ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है। 

भविष्य के भुलयों में भुला न कर
स्वप्निल हिलोरों पर झुला न कर
ये खवाब है जिसकी कोई ताबीर नहीं
मरीचिका भंवरजाल का परिणाम है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है। 

वर्त्तमान में जिंदा है जीते ही जा
सोमरस अंजलि में भर-भर पीते ही जा
जीवन जीने की कला का नाम है
सच है अरे ये जोग तो निष्काम है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
आँखों में मस्ती लबों पर जाम है।